Omnipresent Lord Rama : राम लला पधारो बिराजो म्हारे देश !!!

Omnipresent Lord Rama : राम लला पधारो बिराजो म्हारे देश !

1. राम का जन्म- भगवान राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे . हिन्दू मान्यता के अनुसार श्री राम विष्णु के अवतार हैं जिनका त्रेता युग में अवतार हुआ था. हिन्दू मानने वालों के लिए श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम है.

 

शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म 5114 ई. पूर्व हुआ था। चैत्र मास की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। उपरोक्त जन्म का समय राम की वंशपरंपरा और उनकी पीढ़ियों से भी सिद्ध होता है। अयोध्या के इतिहास और अयोध्या की वंशावली से भी यह सिद्ध होता है।

2. राम पर लिखे ग्रंथ- प्रभु श्रीराम पर वैसे को कई ग्रंथ लिखे गए लेकिन वाल्मीकि कृत रामायण ही प्रमाणिक ग्रंथ माना जाता है। यह मूल संस्कृत में लिखा गया ग्रंथ है। तमिल भाषा में कम्बन रामायण, असम में असमी रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, कन्नड़ में पंप रामायण, कश्मीर में कश्मीरी रामायण, बंगाली में रामायण पांचाली, मराठी में भावार्थ रामायण आदि भारतीय भाषाओं में प्राचीनकाल में ही रामायण लिखी गई। मुगलकाल में गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधि भाषा में रामचरित मानस लिखी जो की हिन्दीभाषा और उससे जुड़े राज्यों में प्रचलित है। विदेशी में कंपूचिया की रामकेर्ति या रिआमकेर रामायण, लाओस फ्रलक-फ्रलाम (रामजातक) मलयेशिया की हिकायत सेरीराम, थाईलैंड की रामकियेन और नेपाल में भानुभक्त कृत रामायण आदि प्रचलीत है। इसके अलावा भी अन्य कई देशों में वहां की भाषा में रामायण लिखी गई है।

3. गौतम बुद्ध के पूर्वज राम- वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे। उनमें से इक्ष्वाकु के कुल में रघु हुए। रघु के कल में राम हुए। राम के पुत्र कुश हुए कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए जो महाभारत के काल में कौरवों की ओर से लड़े थे। शल्य की 25वीं पीढ़ी में सिद्धार्थ हुए जो शाक्य पुत्र शुद्धोधन के बेटे थे। इन्हीं का नाम आगे चलकर गौतम बुद्ध हुआ। यह नेपाल के लुम्बिनी में रहते थे। सिद्धार्थ के बाद राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। जयपूर राजघरा की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे।

Rama Shree

 

4. वनवासी और आदिवासियों के पूज्जनीय प्रभु श्रीराम-

श्री राम को 14 वर्ष को वनवास हुए था। उनमें से 12 वर्ष उन्होंने जंगल में रहकर ही काटे। 12वें वर्ष की समाप्त के दौरान सीता का हरण हो गया तो बाद के 2 वर्ष उन्होंने सीता को ढूंढने, वानर सेना का गठन करने और रावण से युद्ध करने में गुजारे। 14 वर्ष के दौरान उन्होंने बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किए जिसके चलते आज भी हमारे देश और देश के बाहर राम संस्कृति और धर्म को देखा जा सकता है।

 

5. शिवलिंग और सेतु बनवाया 14 वर्ष के वनवास में से अंतिम 2 वर्ष प्रभु श्रीराम दंडकारण्य के वन से निकलकर सीता माता की खोज में देश के अन्य जंगलों में भ्रमण करने लगे और वहां उनका सामना देश की अन्य कई जातियों और वनवासियों से हुआ। उन्होंने कई जातियों को इकट्ठा करके एक सेना का गठन किया और वे लंकी ओर चल पड़े। श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया। महाकाव्य ‘रामायण’ के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है। इसके बाद प्रभु श्रीराम ने नल और नील के माध्यम से विश्व का पहला सेतु बनवाया था और वह भी समुद्र के ऊपर। आज उसे रामसेतु कहते हैं जबकि राम ने इस सेतु का नाम नल सेतु रखा था।

 

6. रामायण के सबूत- जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ. राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है, जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों के समय-क की जांच-पड़ताल वैज्ञानिक तरीकों से की। इन स्थानों में से प्रमुख के नाम है- सरयू और तमसा नदी के पास के स्थान, प्रयागराज के पास श्रृंगवेरपुर तीर्थ, सिंगरौर में गंगा पार कुरई गांव, प्रायागराज, .

7. रामायण के प्रमाण- श्रीवाल्मीकि ने रामायण की संरचना श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद वर्ष 5075 ईपू के आसपास की होगी (1/4/1-2)। श्रुति-स्मृति की प्रथा के माध्यम से पीढ़ी- दर-पीढ़ी परिचलित रहने के बाद वर्ष 1000 ईपू के आसपास इसको लिखित रूप दिया गया होगा। इस निष्कर्ष के बहुत से प्रमाण मिलते हैं। रामायण की कहानी के संदर्भ निम्नलिखित रूप में उपलब्ध हैं- कौटिल्य का अर्थशास्त्र (चौथी शताब्दी ईपू), बौद्ध साहित्य में दशरथ जातक (तीसरी शताब्दी ईपू), कौशाम्बी में खुदाई में मिलीं टेराकोटा (पक्की मिट्टी) की मूर्तियां (दूसरी शताब्दी ईपू), नागार्जुनकोंडा (आंध्रप्रदेश) में खुदाई में मिले स्टोन पैनल (तीसरी शताब्दी), नचार खेड़ा (हरियाणा) में मिले टेराकोटा पैनल (चौथी शताब्दी), श्रीलंका के प्रसिद्ध कवि कुमार दास की काव्य रचना ‘जानकी हरण’ (सातवीं शताब्दी), आदि।

 

8. ऐसा था राम का काल- राम के काल में नदी में नाव और पोत चलते थे। इसी काल में कुछ लोगों के पास विमान भी होते थे

 

जिसमें 4 से 6 लोग बैठकर यात्रा कर सकते थे। रामायण

अनुसार रावण के पास वायुयानों के साथ ही कई समुद्र

जल पोत भी थे। रामायण काल में शत रंज खेला जाता था। इसखेल का आविष्कार श्रीलंका के राजा रावण की रानी मंदोदरी ने किया था। तब इसे चतुरंग कहा जाता था। यह भी कहा जाता है कि राम के काल में पतंग भी उड़ाई जाती थी। राम-रावण युद्ध केवल धनुष-बाण और गदा-भाला जैसे अस्त्रों तक सीमित नहीं था। राम के भक्त

विभीषण को लका से निष्काषित कर दिया था, तब वह लंका से प्रयाण करते समय मधुमक्खी और दर्पण यंत्रों के अलावा अपने 4 विश्वसनीय मंत्री अनल, पनस, संपाती और प्रभाती को भी राम की शरण में ले गया था। राम के काल में सभी लोग बहुत ही नैतिक और सभ्य थे। सभी मर्यादा में रहकर जीवन यापन करते थे। अधिकतर लोगों को वेद का ज्ञान था।

Ayodhya

 

9. रामायण काल के ये लोग आज भी जिंदा हैं- आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रामायण काल के तीन लोग आज भी जिंदा है। इका नाम है हनुमान, जामवंत और विभिषण। इनके काल के पूर्व के दो लोग भी आज तक जिंदा है। उनके नाम हैं- विरोचन पुत्र महाबली और जमदग्नि के पुत्र परशुराम।

 

10. श्रीराम की बहन श्रीराम की दो बहनें भी थी एक शांता और दूसरी कुकबी। हम यहां आपको शांता के बारे में बताएंगे। दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार श्रीराम की बहन का नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं। शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के कुछ वर्षों बाद कुछ कारणों से राजा दशरथ ने शांता को अंगदेश के राजा रोमप को दे दिया था। भगवान श्रीराम की बड़ी बहन का पालन- पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात श्रीराम की मौसी थीं।

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राम तेजस्वी है ओजस्वी है मर्यादा पुरषोत्तम है , राम सबके है राम कबीर के है राम रहीम के भी है और राम किसी राजनीती से उप्पर मानवता के है . पूरी मानवता को राम पर गर्व है एवं सम्मान की है . Ram होना अपने aap में सृस्टि होना है . राम राम Sita Ram.

 

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जय सीता राम सीता राम !!!!

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