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K.K. Pathak Behave : के. के. पाठक का बिहार वासियो के प्रति भेदभाव वाली नजरिया

के. के. पाठक का बिहार वासियो के प्रति भेदभाव वाली नजरिया रखते है , ऐसा क्यों कहा जा रहा है आइये जानते है –

प्रिय लोगों , यह कहानी एक B.P.S.C (TRE 1.0 ) क्वालिफाइड शिक्षक द्वारा नाम न उजागर करने की शर्त पर शेयर किया गया है –

BPSC की पहली शिक्षक भर्ती परीक्षा TRE1.0  का रिजल्ट अक्टूबर 2023 में आया था , उनमे से बिहार भर से कुछ लोगो को मोकामा के टीचर ट्रेनिंग कॉलेज में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था . उन्ही नवनयुक्त शिक्षकों में से एक ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान उन्हें एक दिन के के पाठक जी के आने की खबर मिली . के के पाठक रात को 8 बजे ट्रेनिंग कॉलेज में आये , सभी प्रशिक्षु शिक्षकों को बुलाया गया .कुछ वक्तव्यों के बाद ,  के. के. पाठक जी द्वारा पूछा गया की यहाँ उत्तरप्रदेश से जितने लोग आये है कृपया अपना हाथ उठाये . करीब आधे लोगो ने हाथ उठाया . तब के के पाठक जी ने कहा – “मुझे बस आप ही लोगो से उम्मीद है “.

“बतौर बिहारी B.P.S.C. क्वालिफाइड कैंडिडेट मुझे बहोत ख़राब लगा , क्या मैंने B.P.S.C. क्वालीफाई नहीं किया है , क्या श्री के के पाठक बिहार अपर मुख्य सचिव को अन्य राज्यों के स्टूडेंट से कोई उम्मीद नहीं है , चूकि आप उत्तरप्रदेश से आते है तो बस वहां के कैंडिडेट ही टैलेंटेड हो सकते है. आज बिहार के लोग करियर के किस क्षेत्रों में नहीं है और अपना नाम रौशन नहीं कर रहे है, इस वाक्य का क्या मतलब है , अन्य कैंडिडेट पर इसका कितना मानसिक प्रभाव हुआ होगा. एक तो रात को आठ बजे हॉल में बुलाया गया और सुनने को अपना अपमान मिला, मुझे पहले लगा था ये अच्छा अफसर है लेकिन इनके इस बर्ताव को अपने आँखों से देख और कानों से सुन कर ये बात समझ आया की तानाशाह का बस एक ही चेहरा होता है , चाहे वो हिटलर हो या कोई और वो समावेशी नहीं होता है ”
नाम न बताने की शर्त पर ये बात BPSC क्वालिफाइड बिहार की रहने वाली कैंडिडेट ने कहा .

हमें हमारे उत्तर प्रदेश के आये शिक्षकों से कोई विरोध नहीं है . आखिर वो भी BPSC परीक्षा पास कर आये है हम उनका सम्मान करते है . उनके अधिकार , योग्यता एवं अपने साथी के रूप स्वीकार भी करते है . फिर इन अफसर से भेदभाव जैसा आचरण मन को दुखित करता है. हमे अपने राजनीतिज्ञों से अब ये सवाल जोर से पूछने की जरुरत है की अच्छा सिस्टम बनाने के लिए तानाशाह और बुरे लोगो को कैसे झेल सकते है.

ये सवाल इस तथ्य को पढ़ने के बाद हर इंसान के मन में कौंधेगा … बिहार का शिक्षा व्यवस्था पहले अच्छा हुआ करता था , देश में जितने भी बड़े पदों पर गए है वो सब बिहार की सरकारी सिस्टम से पढ़ कर ही गए है . इन्ही राजनेताओं ने इसको ख़राब किया और इसको सुधारने का दम्भ भर रहे है, ठीक है चीजों को सुधारिये लेकिन याद रहे रहे तरीका लोकतांत्रित , व्यवस्था समावेशी हों और रास्ता व्यावहारिक हों . बांकी जनता काफी समझदार होती है .

 

K.K. Pathak Behave : के. के. पाठक का बिहार वासियो के प्रति भेदभाव वाली नजरिया !!!!

 

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